रायपुर (संवाद साधना)। छत्तीसगढ़ में डिजिटल गवर्नेंस की सबसे अहम प्रणाली ईएमआईएस पोर्टल अब सवालों के घेरे में है। मेडिकल उपकरणों और रीजेंट्स की आपूर्ति के लिए बनाए गए इस सिस्टम का उपयोग पारदर्शिता और निगरानी के बजाय करोड़ों के घोटाले को अंजाम देने के लिए किया गया। 161 करोड़ रुपए के इस महाघोटाले में न सिर्फ सरकारी धन की बर्बादी हुई, बल्कि यह घटना सरकारी तंत्र की नीति, तकनीक और जवाबदेही तीनों मोर्चों पर विफलता की गवाही भी देती है। ईओडब्लू ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि मोक्षित कार्पोरेशन के पार्टनर शशांक चोपड़ा द्वारा कपट एवं बेमानीपूर्वक मिथ्या जानकारी देकर डायट्रान कंपनी का इडीटीए ट्यूब दर्शाकर आपूर्ति की। इसके अलावा ईएमआईएस पोर्टल में रीएजेंट्स का फर्जी इंस्टालेशन भी कराया। जांच रिपोर्ट में सबसे गंभीर बात ये कि शशांक चोपड़ा द्वारा जानबूझ कर दूर्भावनापूर्वक और सरकारी धन को हड़पने की मंशा के साथ आपूर्ति किए गए नए मेडिकल उपकरणों को इंस्टॉल नहीं किया गया। इसके अलावा 700 से अधिक उपकरणों को अक्रियाशील कर दिया गया। जिससे इनके रीएजेंट/कंज्यूमेबल्स बिना उपयोग किये ही खराब हो गया।
भंडारण केंद्रों की हालत बदतर, लाखों की दवाएं कचरे में
राज्य के दंतेवाड़ा, कांकेर, बिलासपुर, सरगुजा, रायगढ़ जैसे जिलों में सीजीएम्एससी के स्टोरेज यूनिट में रीएजेंट्स एक्सपायर हो गए। रिपोर्ट बताती है कि 66.17 करोड़ रुपये के उत्पाद भंडारण केंद्रों में खराब हो गए, वहीं अस्पतालों में 95.12 करोड़ के रीजेंट्स बिना उपयोग के एक्सपायर हो गए। यह न केवल संसाधनों की बर्बादी है, बल्कि हजारों मरीजों के इलाज में देरी और असुविधा का कारण भी बनी।
राजनीतिक सवाल भी उठने लगे हैं
राज्य में विपक्ष ने इस पूरे मामले को हेल्थ सेक्टर में अब तक का सबसे बड़ा घोटाला करार दिया है। पूर्व मंत्रियों ने यह भी मांग की है कि मामले की सीबीआई जांच करवाई जाए औरसीएमएचओ स्तर पर भी जिम्मेदारी तय की जाए। कई विपक्षी नेताओं ने दावा किया है कि इस घोटाले में ऊंचे राजनीतिक स्तर तक सांठगांठ है, जिसे जांच एजेंसियां संरक्षण दे रही हैं।