प्रबंधन ने घटना को छिपाए रखा, अवैध रूप से चला रहे सेकेंड यूनिट में हुआ हादसा
महासमुंद। बिरकोनी औद्योगिक क्षेत्र में संचालित पांचजन्य फूड प्रोडक्ट्स प्रा. लि. में काम कर रहे एक आदिवासी युवक हादसे का शिकार हो गया। मशीन में हाथ आ जाने से उसकी तीन उंगलियां कट गई। घटना में बड़ी बात यह है कि प्रबंधन ने पुलिस, श्रम विभाग, स्वास्थ्य और सुरक्षा विभाग से पूरी घटना को छिपाये रखा। युवक का इलाज महासमुंद के एक निजी अस्पताल में चल रहा है। जिस यूनिट में यह हादसा हुआ वो अवैध रूप से संचालित किया जा रहा था।
जानकारी के अनुसार बिरकोनी इंडस्ट्रियल एरिया में चल रहे पांचजन्य फूड प्रोडक्ट्स प्रा.लि. में मिक्सचर बनाया जाता है। 2 अप्रैल की दोपहर करीब 3 बजे पिथौरा ब्लॉक धनोरा निवासी हिमांशु दीवान (20) इस फेक्ट्री के दूसरे यूनिट बोरे में बेसन भरने का काम कर रहा था। मशीन बार-बार बंद चालू हो रहा था, जिसके चलते बेसन फंस रहा था। आॅपरेटर ने युवक को टैंक को ठोकने को कहा, मशीन फिर बंद हो गई तो युवक ने हाथ से बेसन साफ करने लगा। अचानक मशीन चल पड़ी और युवक के बांये हाथ की तीन उंगलियां मशीन में फंसकर कट गई। प्रबंधन ने आनन-फानन में युवक को निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया। जहां युवक का इलाज चल रहा है। प्रबंधन ने पुलिस को भी जानकारी देना जरूरी नहीं समझा।
नहीं मिली फायर सेफ्टी एनओसी
मिक्सचर फेक्ट्री के प्रबंधक एक लाइसेंस पर 2-2 यूनिट चला रहे हैं। दूसरे यूनिट के फोलर मिल में जिस जगह घटना घटी है वो अवैध रूप से संचालित किया जा रहा है। इस यूनिट को पर्यावरण क्लीयरेंस, डेट आॅफ प्रोडक्शन (डीओपी), फायर सेफ्टी एनओसी अब तक नहीं मिली है। लेकिन प्रबंधन ट्रायल के नाम पर कई महीनों से उत्पादन कर रहे हैं।
फैक्ट्रियों में लगतार हो रहे हादसे
उद्योगों में लगातार हो रहे हादसा के बावजूद स्वास्थ्य एवं सुरक्षा, श्रम और उद्योग विभाग आंखें बंद करके बैठी है। मिक्सचर फैक्ट्री में हुए हादसे के एक दिन बाद यानी 3 अप्रैल को जिला प्रशासन की एक संयुक्त टीम 500 मीटर दूर मनोरमा इंडस्ट्रीज का निरीक्षण करने पहुंचे थे लेकिन इस टीम को कुछ दूरी पर हुए हादसे की भनक तक नहीं। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रशासन की जिला स्तरीय टीम कैसे जांच करती होगी। इस फेक्ट्री ने श्रम विभाग से 20 मजदूरों का लाइसेंस लिया है लेकिन 35 मजदूरों से काम ले रहे हैं। यहां 20 कर्मचारी बताकर सिर्फ 11-12 लोगों का ही पीएफ अकाउंट है। ऐसे ही ईएसआई में रजिस्ट्रेशन कराया गया है।
सरकारी नौकरी पाने की चाहत में
डीएड कर चुके हिमांशु दीवान ने बताया कि पढ़ाई के साथ कुछ काम कर के घर के लिए आर्थिक सहायता देने के लिए मिक्सचर फैक्ट्री में पिछले 15 दिनों से काम कर रहा है। 12 घंटे का 10300, 8 घंटे का 7500 मजदूरी दिया जाता है। प्रबंधन इलाज करा रहे हैं। मुआवजा के लिए कुछ भी नहीं बताया है। उसने बताया कि एक छोटा भाई, माता-पिता और दादा-दादी है। बड़े होने के कारण घर की जिम्मेदारी मुझ पर ज्यादा है।
पुलिस को हादसे की जानकारी ही नहीं
फेक्ट्री के मेनेजर आर. सूर्य नारायण से पूछने पर बताया कि पर्यावरण क्लीयरेंस, डेट आॅफ प्रोडक्शन (डीओपी), फायर सेफ्टी एनओसी अभी नहीं मिली है। श्रम विभाग से 20 मजदूरों का लाइसेंस है लेकिन अभी 35 मजदूर काम कर रहे हैं। सिटी कोतवाली प्रभारी शरद दुबे का कहना है कि फैक्ट्री के मेनेजमेंट ने हादसे की कोई भी जानकारी नहीं दी है। हादसा हुआ है तो कार्रवाई करेंगे।