जिले में 9787 हैंडपंप, 813 ड्राय, 3828 का पानी पीने योग्य नहीं*
महासमुंद। ग्रीष्मकाल की शुरुआत अभी ठीक से हुई भी नहीं कि इसके पहले ही जिले के हैंडपंपों के कंठ सूखने लगे हैं। विभागीय आंकड़ों की मानें तो जिले में संचालित 9787 हैंडपंप में से 813 पूरी तरह सूख चुके हैं। वहीं कुल चालू 8974 हैंडपंप में से 5146 हैंडपंप का पानी ही पीने योग्य बचा है।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के मुताबिक जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति के लिए जिले में कुल 9787 हैंडपंप स्थापित हैं। जिसमें वर्तमान में सिर्फ 8974 ही चालू है। अभी गर्मी ठीक से चालू भी नहीं हुई है और 813 हैंडपंप पूरी तरह बंद है। इधर, विभागीय अफसरों का कहना है कि बंद हुए हैंडपंपों को जल्द ही सुधारने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। उनका कहना है कि हैंडपंप के अलावा नल-जल योजना से घर-घर जलापूर्ति की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। इसके साथ ही स्थल जल योजना, सिंगल फेस पॉवर और सोलर योजना से भी ग्रामीण क्षेत्रों में जलापूर्ति की जाती है।
*बसना, सरायपाली के आंकड़े अप्राप्त*
अगर हम केवल जिले के महासमुंद, बागबाहरा और पिथौरा विकासखंड में (बसना, सरायपाली के आंकड़े प्राप्त नहीं) हैंडपंप के पीने योग्य पानी की बात करें तो उक्त तीनों ब्लॉक में कुल 6302 चालू हैंडपंप में 5146 पंप का पानी ही पीने योग्य है, शेष के पानी का उपयोग निस्तारी के लिए किया जाता है। यानी ब्लॉक में 1156 पंप का पानी पीने योग्य नहीं है।
*भूजल स्तर गिरने से 347 पंप बंद पड़े*
विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार जिले में कुल स्थापित 9787 हैंडपंप में से 813 हैंडपंप बंद है। जिनमें से भू-जल स्तर गिरने से 347 हैंडपंप बंद हैं। उसके पीछे यह कारण बताया जाता है कि बड़ी संख्या में फसल सिंचाई के लिए बोर खनन के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी निजी बोर खनन लगातार बढ़ रहा है जिससे लगातार जलस्तर गिर रहा है।