प्रदेश का दूसरा रोप-वे निर्माण खल्लारी में जारी
महासमुंद। जिला मुख्यालय से 25 किमी दूर भीमखोज पहाड़ी पर विराजित मां खल्लारी का दर्शन अब सुलभ होगा। यहां रोप-वे का निर्माण चालू हो गया है। रोप वे बनने से दर्शनार्थियों को 981 सीढ़ियां चढ़ने की आवश्यकता नहीं होगी। बल्कि, कुछ सीढ़ियां चढ़कर मातारानी का दर्शन किया जा सकेगा। हालांकि इसमें अभी भी सालभर का समय है।यदि काम तीव्र गति से चलता रहा तो अगले साल इसी समय श्रद्धालु रोप वे से मंदिर पहुंच पाएंगे।
बीते कुछ दशक से यहां के लोगों ने डोंगरगढ़ मंदिर की तरह खल्लारी मंदिर में रोप-वे सुविधा का सपना संजोया था। अब यह सपना साकार होने जा रहा है। हालांकि काम की रफ्तार बहुत धीमी है। 9 मार्च 2021 को इसके लिए आधारशिला रखी गई थी। दो साल में अब तक रोप-वे बन कर तैयार व शुरु हो जाना था, किन्तु निर्माण में तकनीकी दिक्कतों से काम में लगातार विलंब बना हुआ है। संसदीय सचिव व खल्लारी विधायक द्वारिकाधीश यादव व मंदिर ट्रस्ट के सदस्यों ने दो साल पहले भूमिपूजन किया था। तब उम्मीद लगाई जा रही थी कि वर्ष 2022 में सुविधा मिलेगी पर कोरोनाकाल में काम शुरू नहीं हो पाया। बता दें कि यह जिले का पहला मंदिर है जहां रोप-वे की सुविधा मिलेगी। खल्लारी मंदिर समिति के ट्रस्टी की मानें तो श्रद्घालुओं की भीड़ को देखते हुए यहां लगातार रोप-वे के निर्माण की मांग हो रही थी। कोलकाता की कंपनी रोपवे एवं रिसॉर्ट प्राइवेट लिमिटेड यहां निर्माण कर रही है। इसका खर्च भी मंदिर ट्रस्ट व कंपनी वहन करेगी।
कमजोर व कठोर पत्थर ठीक करने लग रहा समय
लगभग तीन सौ मीटर लंबे रोप-वे में कुल चार ट्रॉली होंगी। हर ट्रॉली में चार लोग बैठ सकेंगे। डोंगरगढ़ के बाद प्रदेश का यह दूसरा मंदिर होगा, जहां रोपवे होगा। डोंगरगढ़ में 650 मीटर लंबा रोपवे है। रोप-वे ढेकानाल तालाब से भंडार स्थल तक होगा। पहाड़ी 130 मीटर ऊंचा है। दर्शनार्थी अभी 981 सीढ़ी चढ़कर मंदिर तक पहुंचते हैं। रोप-वे बन जाने से से एक घंटे में डेढ़ सौ से अधिक लोग दर्शन कर सकेंगे। बता दें कि पहाड़ी पर जहां कमजोर पत्थर हैं उसे हटाकर मजबूत बेस बनाने तथा जहां कठोर पत्थर है उसे तोड़कर बेस बनाने, टावर खड़ा करने में समय लग रहा है।
रोप-वे बनने से बढ़ेंगे श्रद्धालु, नवरात्रि में भरता है मेला
रोप-वे की सुविधा होने से यहां मौजूदा स्थिति से तीन-चार गुणा अधिक श्रद्धालु मां खल्लारी के दर्शन करने पहुंचेंगे। साल के दोनों नवरात्र में यहां जमकर भीड़ रहती है। दूर दराज से श्रद्धालु पहुंचते हैं। बाद के दिनों में भी श्रद्धालुओं का नियमित यहां आना-जाना रहता है। लोग पहाड़ी का मनोरम दृश्य देखकर आनंदित होते हैं। आसपास के लोगों को मंदिर से सालभर का रोजगार मिलता है। नवरात्र व खल्लारी मेला में यहां श्रद्घालुओं की अधिक भीड़ रहती है। पहाड़ी के नीचे यहां मेला लगता है। दर्शन पूजन के साथ बाजार, खानपान, खेल खिलौने का मजा लेने लोग पहुंचते हैं। खल्लारी पहाड़ी पर माता खल्लारी के दर्शन के अलावा भीम डोंगा, भीम का पांव, भीम चूल्हा, भैरव गुफा, दक्षिण हनुमान का लोग दर्शन-पूजन करते हैं।
सौर लाइट से रात में जगमगाती है पहाड़ी
पहाड़ी में यूं तो विद्युत व्यवस्था है, किन्तु यहां सोलर लाइट भी लगाई गई है। रात में मंदिर का नजारा लोक लुभावन होता है। पहाड़ी पर जगमग रोशनी मंदिर से 10 किमी दूर से ही नजर आती है। पहाड़ी पर सुंदर उद्यान भी है। तेज धूप व गर्मी से बचने चैत्र नवरात्र में ज्यादातर लोग रात में ही दर्शन करने पहाड़ी चढ़ते हैं। नवरात्र व मेला में नौ दिनों तक यहां अनवरत भंडार चलता है।