साल 2015 में बने 392 दिव्यांगों के यात्रा पास
महासमुुंद। जिले के दिव्यांगों को शासन की नि:शुल्क रेल, बस सेवा पास का लाभ नहीं मिल पा रहा है। ये विभाग के आंकड़े बता रहे है। जिले में करीब साढ़े 12 हजार दिव्यांग हैं। लेकिन पिछले 6 सालों के अंदर इनमें से एक भी दिव्यांग का यात्रा पास नहीं बना है।
इधर, एक ओर जहां समाज कल्याण विभाग के अफसर शासन की उक्त योजना को जिले में बंद बता रहे हैं। वहीं परिवहन विभाग के अफसर पास के लिए विभाग में पंजीकृत किसी भी दिव्यांग द्वारा बस सेवा प्राप्त करने के लिए आवेदन नहीं करने की बात कह रहे हैं। बता दें कि शासन ने दिव्यांगों के लिए रेल व बस पास सेवा की योजना बनाई है। योजना के तहत 40 फीसदी दिव्यांगों को बस और रेल में सफर करने के लिए पास दिया जाता है जिसके आधार पर वे कभी भी कहीं भी नि:शुल्क यात्रा कर सकते हैं। मामले में बस एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश चंद्राकर का कहना है कि अगर नियम है तो इसका लाभ मिलना चाहिए। जो बस संचालक नियम नहीं मान रहे उनकी जानकारी मिलने पर कार्रवाई की जाएगी। इधर, संबलपुर डिवीजन के जनसंपर्क अधिकारी त्रिविक्रम सेठ का कहना है कि रेल में आरक्षित कोच होता है। रही बात नि:शुल्क यात्रा की तो नियम संशोधित हो चुका है इसमें उन्हें किराए में कुछ छूट का प्रावधान है।
*पास का नहीं मिलता लाभ, इसलिए नहीं बनाया*
नयापारा की दिव्यांग सुरजो यादव 80 फीसदी दिव्यांग हैं और वे पंजीकृत है। उन्होने बताया कि कुछ दिव्यांग का रेल व बस पास बना हुआ है पर उन्हें इसका लाभ नहीं मिल रहा है। इसलिए उन्होने अभी तक पास के लिए आवेदन नहीं किया है।
*रेल पास उपलब्ध पर लाभ नहीं*
शंकर नगर निवासी सविता निषाद ने बताया कि उनका शासन की योजना के तहत बस नहीं पर रेल पास बना है। लेकिन इसका लाभ उन्हें आज तक नहीं मिला है। जितनी बार भी रेल से यात्रा की और टीटी को पास दिखाया तो उन्होने उसे स्वीकार्य नहीं किया जिससे उन्होने पास का उपयोग ही बंद कर दिया।
बस पास को नहीं मानते संचालक
बागबाहरा के ग्राम पाली निवासी मन्नू विश्वकर्मा ने बताया कि शासन की योजना के तहत उनका बस पास बना है। हर बार वे बस में सफर के दौरान बस परिचालक को पास दिखाते है पर वे पास निजी की बजाए सरकारी बसों में पास स्वीकार करने की बात कहते हैं। इसलिए उन्होने अब तक रेल पास नहीं बनाया है।
*बसों और ट्रेनों में सीट आरक्षित
दिव्यांगों की सुविधा के लिए* शासन ने रेल और बसों में सीटें आरक्षित की है। इसमें रेल में दिव्यांगों के लिए एक कोच की व्यवस्था है पर बसों में ऐसी कुछ देखने को नहीं मिलता है। इधर, रेल में दिव्यांगों के लिए आरक्षित कोच में जनरल यात्री सफर करते हैं। इसमें बड़े स्टेशनों में तो कार्रवाई होती है पर महासमुंद में इस पर कार्रवाई देखने को नहीं मिलती जिससे दिव्यांगों को जनरल वार्ड में सफर करना पड़ता है।
*क्या कहते है अधिकारी*
साल 2015 में करीब 392 दिव्यांगों को पास जारी हुआ है। जिले में करीब 12538 हजार दिव्यांग हैं जो विभाग में पंजीकृत हैं। पास की योजना जिले में फिलहाल बंद है।
-संगीता सिंह
उप संचालक समाज कल्याण व पंचायत विभाग
बस पास के लिए दिव्यांगों के आवेदन करने पर ही पास जारी किया जाएगा। फिलहाल पिछले एक वर्ष के अंदर कोई आवेदन इसके लिए कार्यालय में नहीं आया है।
-आरके ध्रुव
जिला परिवहन अधिकारी