गढ़सिवनी जयंती समारोह में त्रिभुवन ने कहा-
महासमुंद। गढ़सिवनी में महान संत गुरु घासीदास की जयंती हर्षोल्लासपूर्वक मनाई गई। समारोह में नगर पालिका के पूर्व उपाध्यक्ष त्रिभुवन महिलांग बतौर अतिथि शामिल हुए। इस मौके पर उन्होंने क्षेत्रवासियों को जयंती की शुभकामनाएं दी। अध्यक्षता गिरधर आवड़े ने की। विशेष अतिथि के रूप में सतनामी समाज के अध्यक्ष राधेलाल पाटिल, जीवन साहू, राजेश साहू, गिरधर निर्मलकर, हीरामन जोना, जीवराखन साहू, मोहर सोनकर, नरेन्द्र बंजारे, मुन्ना साय, हेमू पटेल, हेमलाल टोंडरे, धनी साय, पुनीत साय, संतनु साय, घासीराम साय, हेमलाल, रामदास, हीरे लाल साय, शंकर साय, जगदीश साय, सुखचंद पटेल मौजूद थे। मुख्य अतिथि की आसंदी से श्री महिलांग ने कहा बाबा गुरु घासीदास ने बहुत कम उम्र में ही जाति व्यवस्था की बुराइयों का अनुभव कर लिया था। और इससे उन्हें जातिग्रस्त व्यवस्था में मौजूद खामियों को समझने में मदद मिली। यह भी माना जाता है कि इस समस्या का समाधान खोजने के लिए उन्होंने छत्तीसगढ़ में व्यापक भ्रमण किया। उन्होंने न केवल समाज से जाति व्यवस्था को खत्म करने बल्कि इसे समान और अधिक शांतिपूर्ण बनाने का भी प्रयास किया। उन्होंने अपने समय की सामाजिक, आर्थिक, विषमता, शोषण तथा जातिवाद को समाप्त कर मानव-मानव एक समान का संदेश दिए। उन्होंने सामाजिक कुरीतियों पर कुठाराघात किया। जिसका असर आज तक दिखाई पड़ रहा है।