Saturday, June 21, 2025

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ई. डी. की गिरफ्त में छत्तीसगढ़ की सुपर सी एम! खुलासे के इंतेजार में जनता

छत्तीसगढ को लूटते नौकरशाह

आप सभी जानते हैं सुपर सीएम के नाम से विख्यात सौम्या चौरसिया ईडी की गिरफ्त में है। सौम्य चौरसिया राज्य प्रशासनिक सेवा 2005 की अधिकारी होने के बावजूद भी मुख्यमंत्री कार्यालय में उपसचिव जैसे महत्वपूर्ण पद पर रह कर पिछले 4 वर्षों से आईएएस आईपीएस और आईएएस अधिकारियों क्लास लगा रही थी। यही कारण है कि मुख्यमंत्री सचिवालय से  सीनियर आईएएस गौरव द्विवेदी आखिरकार वापस केंद्र में चले गए। जांजगीर के कलेक्टर तारण प्रकाश सिन्हा जिन्हें शपथ ग्रहण के बाद सरकार ने  डीपीआर आयुक्त बनाया था, उन्होंने भी सीएम सचिवालय से निकलकर समय रहते  फील्ड में सेवाएं देना ही उपयुक्त समझा। मैडम की प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष तिमारदारी से मजबूर दो दर्जन से अधिक धाकड़ आईएएस और आईपीएस अधिकारी केंद्र सरकार की प्रतिनियुक्ति में चले गए, यह बताना जरूरी नहीं कि जो है उन्हें मैडम की सुनने पर ही मेनलाइन में काम मिलता है,अनेको सीनियर अधिकारी जिन्होंने नही सुनी वे यार्ड में शंटिंग ड्यूटी कर रहे है।दरअसल प्रदेश में केंद्रीय योजनाओं की लूट का जिम्मा इन्ही मैडम के पास बताया जाता है। कोल मामले में एक्सटॉर्शन मनी और तबादला उद्योग चाबी इन्ही मैडम के पास है। आज ट्रैक पकड़ती ईडी की गाड़ी में विश्नोई, सूर्या तिवारी,एक कलेक्टर दंपत्ति और कतिपय बिजनेस टायकून के लपेटे में आने के बाद आखिरकार सुपर सीएम मैडम को भी ईडी ने रिमांड पर लेकर पूछताछ शुरू की है,तो ये बाते निकल कर आई है। ध्यान देने वाली बात यही मैडम गोबर की खरीदी में पाई पाई के लिए हंटर चलाती थी लेकिन केंद्र सरकार की पीएम आवास हो,मनरेगा हो,स्मार्ट सिटी, किसान सम्मान निधि और ढेरों केंद्र राज्य प्रवर्तित योजनाएं,एनटीपीसी, कोल इंडिया,एनएमडीसी, इस्पात,सीमेंट आधारित केंद्रीय उपक्रम हो या भारतमाला योजना में   छत्तीसगढ़ के नाम पर  होलसेल वसूली की एजेंसी अघोषित प्रभारी रही है।इसलिए ईडी ने  छत्तीसगढ़ की पहली गिरफ्तारी का रास्ता पांचवी गिरफ्तारी से निकाला है। रिमांड में मनी लांड्रिंग से लेकर अन्य मामलों में बड़ी पूछताछ जारी बताई जाती है, जिसके आधार पर आने वाले दिनों में गिरफ्तारी  की संख्या बढ़ने वाली है। सबसे मजे की बात ये है कि सीएम हाउस के अलावा कांग्रेस के किसी भी नेता ने गिरफ्तारी ओ को राजनीति से प्रेरित नहीं बताया है, आखिरकार यह अधिकारी पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के राज में भी काम कर रहे थे, लेकिन ऐसी खुली लूट का कार्टेल नही बन सका था। छत्तीसगढ़िया के नाम पर इस कार्टेल के सूत्रधार नान घोटाले से भी जुड़े हो सकते है। चिटफंड मामले की जांच में अपना लोहा मनवाने वाली सरकार यह चाहती है कि ईडी चिटफंड मामले की जांच करें, विशेषज्ञ बताते हैं सरकार को चाहिए वास्तव में अगर वह ध्यान नहीं भटकाना चाहते हैं तो चिटफंड मामले की जांच को ईडी को ट्रांसफर कर देना चाहिए। वन विभाग की लीपापोती में भी आने वाले समय में ईडी की दखल देखी जा सकती है। बहरहाल सबसे मजेदार बात निकल कर यह सामने आई है कि छत्तीसगढ़ की सबसे फेमस पांच हजार  करोड़ो से ज्यादा वाले तबादला उद्योग पर  तबादला नीति में तय सीमा के पहले ही तालाबंदी कर दी गई है, अगर इस ओर ईडी का ध्यान गया तो चारो खाने भद्द पीटना तय है।मुख्यमंत्री जी की राजनीतिक कार्यवाही वाले बयान से पिछले दिनों महतारी हुंकार रैली में आई केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी जी की बाते सच्चाई को ढूंढने में मजबूर कर देती है कि आखिर इस सरकार का रिमोट कहां है? प्रश्न यह भी है कि आखिर सौम्या चौरसिया कौन से राजनीतिक पद में है जिससे उन पर की गई कार्यवाही राजनीतिक करार की जा रही है? सवाल यह भी छत्तीसगढ़ की जनता जानना चाहेगी कि कांग्रेस की सरकार आते ही सीबीआई पर बैन क्यों लगाया गया? राज्य सरकार केंद्रीय योजनाओं का लाभ  उठा रही है , केंद्रीय उपक्रमों से संबंधित उत्पादों पर भ्रष्टाचार पर केंद्रीय एजेंसियों के द्वारा की जा रही कार्यवाही भला राजनीतिक कैसे हुई? मुख्यमंत्री सचिवालय में योजनाबद्ध भ्रष्टाचार करने वालों को संरक्षण देना सरकार का भंडाफोड़ नहीं तो और क्या है? क्या यही नवा छत्तीसगढ़ चार साल में बनाया जा रहा है।

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