Thursday, June 19, 2025

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हम तीन शादियां करते हैं और सबको सम्मान देते हैं, लेकिन हिंदू. AIMIM नेता के बिगड़े बोल

उत्तर प्रदेश के ऑल इंडिया मजलिस-ए-इतेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली ने हिंदू विवाह पर एक विवादास्पद बयान दिया है.

AIMIM नेता ने कहा कि लोग कहते हैं कि हम तीन शादियां करते हैं. लेकिन, हम दो शादियां भी करते हैं तो अपनी पत्नियों का पूरा सम्मान देते हैं. लेकिन आप (हिंदू) एक से शादी करते हैं और तीन-तीन प्रेमिकाएं रखते हैं. आप न तो अपनी पत्नी का सम्मान करते हैं और न ही अपनी प्रेमिका का.

वहीं, हिजाब विवाद पर शौकत अली ने कहा कि संविधान तय करेगा कि देश में कौन क्या पहनेगा. बीजेपी ऐसे मुद्दों को उठाकर देश को तोड़ने का काम कर रही है. शौकत अली ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि जब बीजेपी कमजोर होती है तो वह मुस्लिम समुदाय से जुड़े मुद्दों को उठाती है. उन्होंनेभाजपा पर गंदी राजनीति करने का आरोप लगाया.

ओवैसी के करीबियों में से एक शौकत अली

एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी के करीबियों में से एक शौकत अली माने जाते हैं. यूपी चुनाव के दौरान भी शौकत अली के कई बयान चर्चा में रहे थे. हिजाब मामले पर असदुद्दीन ओवैसी भी सवाल उठा चुके हैं. उन्होंने कहा था कि अगर एक सिख व्यक्ति पगड़ी धारण कर सकता है. एक हिंदू महिला मंगलसूत्र और सिंदूर लगा सकती है तो मुस्लिम लड़कियों को हिजाब पहनने से क्यों रोका जा रहा है.

“मुसलमानों को निशाना बनाया गया”

एआईएमआईएम (AIMIM) नेता ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि मुसलमानों को निशाना बनाया गया. मदरसा, लिंचिंग, वक्फ और हिजाब जैसे मुद्दे हमारे साथ हो रहे हैं क्योंकि हमें निशाना बनाना आसान है. जब भाजपा कमजोर होती है तो वे मुस्लिम मुद्दों को उठाते हैं. सुप्रीम कोर्ट की दो-न्यायाधीशों की पीठ ने कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए गुरुवार को एक विभाजित निर्णय दिया, जिसमें राज्य में शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को खत्म करने से इनकार कर दिया गया था.

सुप्रीम कोर्ट में हिजाब बैन पर हो रही सुनवाई

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले पर कोई रोक नहीं लगाई है. मामले को अब भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) यूयू ललित को एक नई पीठ गठित करने के लिए भेजा गया है. नई बेंच में CJI के विवेक के अनुसार तीन या अधिक जज होंगे. इसलिए, आज की तारीख में सरकारी अधिसूचना कायम है और कर्नाटक सरकार को स्कूलों में किसी भी मानदंड को बदलने की आवश्यकता नहीं है.

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