Saturday, June 28, 2025

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महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों की हुई जन सुनवाई


* पत्नी के गहने और अन्य सामान हड़पने के आरोप में थाना प्रभारी को एफआईआर दर्ज करने का दिया आदेश
* महिलाओं ने शासकीय भूमि पर कब्जा की शिकायत पर दर्ज करायी आयोग ने शिकायत
* अवैध रिश्ते के बाद भी बच्चे का भरण-पोषण 2000/- प्रतिमाह पिता को करने दया आदेश
कोरबा…… छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्य श्रीमती अर्चना उपाध्याय ने जिला कलेक्टर कोरबा सभाकक्ष में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर जन सुनवाई की। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में 248वीं एवं कोरबा जिला की 7वीं जन सुनवाई हुई। कोरबा जिले में आयोजित जन सुनवाई में कुल 36 प्रकरण सुनवाई की गई।
सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में दोनो पक्ष उपस्थित अनावेदक से 01 मई 2019 में विवाह किया था, विवाह के बाद पति ने आवेदिका के नाम पर 75 हजार रूपए का ऋण निकाला था पुरी राशि लेने के बाद आवेदिका को प्रताड़ित करने लगा। जिसका विस्तृत ब्यौरा आवेदिका ने अपने आवेदन पत्र में लिखा है। आवेदिका का पैसा छीनने के बाद आवेदिका का पति नशा करके मारपीट करने और उसके प्रताड़ना के बाद आवेदिका का गर्भपात हो जाने का आरोप लगाया। तब वह छः माह मायके में रही। जिसके पश्चात् दोनो पक्ष को समझाईश पर आवेदिका अपने पति के साथ में रहने लगी। तब आवेदिका के पति ने सारे गहने व अन्य सामान गायब कर दिया और आवेदिका पर दोषा रोपण करने लगा। आरोप हैं की महज 10 दिन के बाद तीनों अनावेदकगणों ने आवेदिका को दबाव डाला और पंचायत में बैठकर आवेदिका को एक कोरे पन्नें में तलाकनामा लिखवा दिया तथा 75 हजार रूपए, गहने और अन्य सामान भी नहीं दिया। जिससे पीड़ित होकर आवेदिका ने आयोग में शिकायत दर्ज करायी। आयोग ने दोनो पक्ष को विस्तार से सुनने के पश्चात् और यह पाया कि आवेदिका का पति 75000/- का लोन आवेदिका के नाम पर निकलवाया और उससे अपने घर में शौचालय बनवाया और बाकी रकम गहने आवेदिका से छीनकर अपने घर से निकाल दिया इस कार्य में आवेदिका के पति के पुरा परिवार सहयोग किया और शेष दो अनावेदक गांव के निवासी द्वारा कोरे कागज में शपथपत्र तथा तलाकनामा लिखकर आवेदिका को उसके मायके भिजवाया था जिस पर अनावेदक क्रमांक 2 और 3 ने अपनी गलती का स्वीकारा और भविष्य में इस तरह से दोबारा कोरे कागज में तलाकनामा लिखवाने की गलती नहीं करेंगे कहते हुए आयोग से माफी मांगा तथा आश्वासन दिया कि आवेदिका के साथ थाना हरदीबाजार जा कर आवेदिका के पति और परिवार के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने में सहयोग करेंगे। इस पर आवेदिका ने अपनी सहमति व्यक्त की है। इस प्रकरण में आयोग इस नतीजे पर पहुंची की आवेदिका अपने पति एवं परिवार के विरूद्ध थाना हरदीबाजार जा के केस धारा 498 (ए) भा.द.वि. एवं पैसा गबन करने के लिए घोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज करवायेगी। इस कार्य हेतु सखी वन स्टॉप सेंटर की केन्द्र प्रशासक को निगरानी के लिये दिया गया।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिकागणों ने बताया कि वनभूमि पोलमीबीट कक्ष कमांक 3/96 (एक हजार तीन में) बतरा निवासी द्वारा गौचर भूमि में जबरदस्ती प्लांटेशन (शासकीय) को उखाड़कर खेत बना रहा है जिसकी शिकायत आवेदिकागणों एवं ग्राम के सरपंच द्वारा सभी जगह किये जाने के बाद भी कोई भी कार्यवाही नहीं किया जा रहा है इस पुरे प्रकरण को जांच के लिए कोरबा कलेक्टर को दिया गया और मूल फाईल राज्य महिला आयोग की सदस्य श्रीमती अर्चना उपाध्याय को दिया गया पुरे प्रकरण का 03 माह के भीतर जांच कर आयोग को जानकारी प्रदान किया जायेगा।
अन्य प्रकरण में आवेदिका ने अनावेदक के खिलाफ शारिरिक शोषण का शिकायत दर्ज करायी थी जिससे उसकी 4 साल की बच्ची है। आवेदिका ने अनावेदक के खिलाफ थाना मानिकपुर चौकी में 376 भा.द.वि. का रिर्पाेट दर्ज कराया था जिसमें बयान बदलकर प्रकरण समाप्त हो गया है। आवेदिका अपनी बच्ची के भविष्य को सुरिक्षत रखना चाहती है। इसे अनावेदक ने भी स्वीकार किया है और वह बच्ची के नाम से प्रतिमाह 2000/- दो हजार रूपये उसके खाते में आर.टी.जी.एस. करेगा इस पुरे प्रकरण की जांच एवं निगरानी एक वर्ष तक नियमित पैसा जमा हो रहा है या नहीं की संरक्षण अधिकारी नवाबिहान के द्वारा की जायेगी। इस निर्देश के साथ प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।
एक अन्य प्रकरण में अनावेदकगण अनुपस्थित अनावेदक शासकीय सेवा में कार्यरत है उसकी पदस्थापना का पता आवेदिका के द्वारा प्रस्तुत किये जाने पर प्रकरण सुनवाई में रायपुर में रखा जायें तथा थाना बांकीमोंगरा टी.आई के माध्यम से सभी अनावेदकगणों की उपस्थिति कराने का पत्र भेजा जाये। आगामी सुनवाई दिनांक 05 अप्रैल को रायपुर मुख्यालय में की जायेगी। अन्य प्रकरण में अनावेदकगण द्वारा कहा कि आवेदिका के उपर कोई सामाजिक प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। यदि आवेदिका के उपर पुनः सामाजिक प्रतिबंध लगाया जाता है तो आवेदिका पुनः प्रकरण लगा सकती है। वर्तमान में उस पर कोई सामाजिक प्रतिबंध नहीं है यह अनावेदक ने स्वीकार किया है। इस आधार पर प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।

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