– डीपीआर तैयार कर कलेक्टर ने राज्य सरकार को भेजा
धमतरी। महानदी उद्गम को संवारने की कवायद तेज हो गई है। इसके लिए राज्य शासन 30 करोड़ रुपए खर्च करेगा। इसे लेकर कलेक्टर अबिनाश मिश्रा ने पीडीपआर बनाकर राज्य सरकार को भेज दिया है। योजना के तहत लगभग 5 करोड़ रुपए से एनीकट बनाया जाएगा। इससे यहां सालभर पानी रुकेगा। उद्गम स्थल के संवरने के बाद 4 किमी लंबा नौका विहार भी शुरू होगा। महेंद्रगिरी पर्वत पर चढऩे के लिए रोप-वे भी लगेगा। यह काम अंतिम चरण में होगा। कार्ययोजना नदी और जल संरक्षण से जुड़े विशेषज्ञों की सलाह से तैयार की गई है। इस परियोजना से डेढ़ से दो हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। कलेक्टर ने महानदी को ‘मां’ का दर्जा दिया है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सोच को साकार करने के लिए एक हफ्ते पहले 14 किमी क्षेत्र में सफाई अभियान चलाया गया। महानदी 900 किमी लंबी है।
ऐसे विकसित होगा स्थल
कलेक्टर के अनुसार शृृंगी ऋषि पर्वत, करणेश्वर महादेव मंदिर परिसर और गणेश घाट को मिलाकर पर्यटन और जल संरक्षण के लिए विकसित किया जाएगा। गणेश घाट के पास एनीकट बनेगा। इससे नदी में सालभर पर्याप्त पानी रहेगा। एनीकट बनने के बाद नौका विहार शुरू होगा। नदी के दोनों किनारों पर पीचिंग का काम होगा। पौधरोपण कर घाट और परिसर का सौंदर्यीकरण किया जाएगा। करणेश्वर महादेव मंदिर परिसर तक मुख्य मार्ग से दोनों तरफ बिजली की व्यवस्था की जाएगी। महानदी और बालका नदी के संगम स्थल पर धार्मिक संस्कारों और कर्मकांडों के लिए विशेष व्यवस्था होगी। शृंगी ऋषि पर्वत का भी सौंदर्यीकरण होगा। देवपुर से गणेश घाट तक सडक़ चौड़ी की जाएगी। ओवरहेड टैंक का निर्माण भी होगा।
जीवनरेखा हैं महानदी…
सिहावा पर्वत श्रेणी में स्थित शृृंगी ऋषि के आश्रम से महानदी की शुरुआत होती है। यहां करीब ढाई फीट का एक छोटा कुंड है। फिर नदी गणेश घाट के पास अचानक प्रकट होती है। यहां की जमीन लगभग सूख चुकी है। यहीं से महानदी का स्वरूप बढ़ता है। यह प्रदेश में 286 किमी बहती है। फिर ओडिशा होते हुए बंगाल की खाड़ी में समा जाती है। इस यात्रा के दौरान महानदी छत्तीसगढ़ के 22 जिलों को किसी न किसी रूप में पानी देती है। यह नदी 12 जिलों के पूरे हिस्से को कवर करती है। 3 जिलों के 84 फीसदी और 4 जिलों के 70 फीसदी से ज्यादा हिस्से को भी छूती है। सूखे उद्गम के बावजूद महानदी छत्तीसगढ़ के बड़े हिस्से की जीवनरेखा बनी हुई है।