रायपुर। छत्तीसगढ़ में चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा जारी मीडिया सेंसरशिप संबंधी दिशा-निर्देशों के विरोध में पत्रकार समुदाय ने मंगलवार शाम 5 बजे कलेक्ट्रेट चौक स्थित डॉ आंबेडकर प्रतिमा के सामने रायपुर में जोरदार प्रदर्शन किया।
इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में पत्रकार, संपादक, कैमरामैन, और पत्रकार संगठनों के पदाधिकारी शामिल हुए।
भारती श्रमजीवी पत्रकार संघ (BSPS) छत्तीसगढ़ इकाई ने इस विरोध को समर्थन देते हुए बड़ी भागीदारी निभाई।
प्रदर्शन के दौरान पत्रकारों ने स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा प्रेस की स्वतंत्रता पर थोपे गए प्रतिबंधात्मक आदेशों की प्रतियां जलाकर विरोध जताया।
BSPS के प्रदेश अध्यक्ष गंगेश कुमार द्विवेदी ने प्रदर्शन को संबोधित करते हुए कहा:
“ पत्रकार डरते नहीं हैं। यह आदेश स्पष्ट संकेत है कि स्वास्थ्य विभाग भीतर से बीमार और भ्रष्टाचार से ग्रस्त है। इस आदेश से सरकार की नीयत पर सवाल उठना स्वाभाविक है।”
उन्होंने कहा कि यह आदेश न केवल प्रेस की आज़ादी पर हमला है, बल्कि जनता के जानने के अधिकार को भी कुचलने की साजिश है।
मुख्यमंत्री से ज्ञापन देकर हस्तक्षेप की मांग
गंगेश कुमार द्विवेदी ने घोषणा की कि संघ प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से मिलकर इस मुद्दे पर तत्काल हस्तक्षेप की मांग करेगा और उन्हें ज्ञापन सौंपेगा। उन्होंने कहा कि
“अगर सरकार सच से डरती है, तो उसे छुपाने के बजाय व्यवस्था सुधारने की ज़रूरत है। पत्रकारिता जनता की आवाज़ है — और वह कभी खामोश नहीं होगी।“
BSPS का आह्वान
भारती श्रमजीवी पत्रकार संघ ने प्रदेशभर के अपने सभी पदाधिकारियों और सदस्यों से अपील की है कि वे इस मुद्दे पर एकजुट होकर आगे आएं और लोकतांत्रिक ढंग से प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा करें।
लोकतांत्रिक व्यवस्था पर हमला
“पत्रकारिता पर हमला यानी लोक तांत्रिक व्यवस्था पर हमला है। और लोकतंत्र की रक्षा के लिए यह संघर्ष अब और तेज होगा।“
— गंगेश कुमार द्विवेदी, प्रदेश अध्यक्ष, BSPS