– ट्रैफिक डीएसपी ने निभाई नायक की भूमिका, लोगों को किया जागरूक, दिया अहम संदेश
रायपुर (संवाद साधना )। बारात, चौथिया व अन्य कार्यों में शामिल होने के लिए लोग मालवाहकों का उपयोग कर रहे हैं, जिसके कारण प्रदेश में लगातार सडक़ हादसे हो रहे हैं और इसमें लोगों की मौतें भी हो रही है। वहीं रायपुर की यातायात पुलिस भी लोगों को जागरूक करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। इसी क्रम में रायपुर के ट्रैफिक डीएसपी सतीश ठाकुर ने लोगों को जागरूक करने के लिए एक शार्ट फिल्म गंगुआ बनाया है। इसमें मुख्य किरदार निभा रहे हैं। शार्ट फिल्म में बारात जाने के लिए ग्रामीण ट्रैक्टर का उपयोग करते हैं, लेकिन सतीश ठाकुर ग्रामीणों को जागरूक करते हुए मालवाहक से बारात जाने से मना करते हुए सवारी गाड़ी से जाने के लिए कहते हैं। ग्रामीण भी उसकी बात को मानकर सवारी गाड़ी में बारात जाते हैं। इसी उद्देश्य से रायपुर पुलिस ने शार्ट फिल्म बनाकर लोगों को मालवाहकों से सवारी न ढोने के प्रति जागरूक किया है। इससे पूर्व भी डीएसपी सतीश ठाकुर ने 2019 में यमराज बनकर यातायात का संदेश दिया था।
फिल्म में दिया जागरूकता का संदेश
फिल्म में डीएसपी सतीश ठाकुर ने गंगुआ नामक एक ग्रामीण किसान की भूमिका निभाई है। फिल्म की कहानी उस वक्त मोड़ लेती है, जब गांव की एक बारात मालवाहक वाहन और ट्रैक्टर से रवाना होते हंै। तभी गंगुआ इसका विरोध करते हुए कहता है कि मालवाहक गाडिय़ों में सवारी करना खतरनाक और कानून के विरुद्ध है। फिल्म के क्लाइमैक्स में गंगुआ (सतीश ठाकुर) एक मालवाहक गाड़ी में जा रही बारात को रोक देता है और सभी को सवारी वाहन में भेजने की व्यवस्था कराता है। इसी सीन के जरिए सडक़ सुरक्षा का अहम संदेश दिया गया है।
एसएसपी ने भी दी सलाह, नियमों का पालन करें
फिल्म में रायपुर एसएसपी डॉ. लाल उमेद सिंह भी नजर आते हैं। उन्होंने ट्रैफिक नियमों को लेकर महत्वपूर्ण बातें साझा कीं, जैसे्र मालवाहक गाडिय़ों में सवारी न बैठाएं, वैध लाइसेंस के बिना वाहन न चलाएं, ओवरलोड और ओवरस्पीड से बचें, शराब पीकर वाहन न चलाएं, सीट बेल्ट और सही लेन का उपयोग करें
, नो-पार्किंग में गाड़ी न खड़ी करें।
13 लोगों की मौत के बाद बढ़ाई गई सतर्कता
यह फिल्म खरोरा क्षेत्र में हुए एक दर्दनाक हादसे के बाद बनाई गई है। बीते सप्ताह एक मालवाहक गाड़ी की ट्रेलर से टक्कर हो गई थी, जिसमें 13 लोगों की मौत हो गई थी। सभी एक छठी कार्यक्रम से लौट रहे थे। इस हादसे के बाद पुलिस और जिला प्रशासन ने ग्रामीण इलाकों में विशेष जागरूकता अभियान शुरू किया है।
हर साल 1.5 लाख मौतें, गोल्डन आवर की अहमियत
भारत में हर साल सडक़ दुर्घटनाओं में लगभग 1.5 लाख लोगों की जान जाती है। इसमें एक बड़ा कारण यह है कि घायल को समय पर मेडिकल सुविधा नहीं मिल पाती। दुर्घटना के बाद का पहला आधा घंटा गोल्डन आवर कहलाता है, जिसमें उपचार मिल जाने से कई जानें बच सकती हैं। पुलिस प्रशासन का कहना है कि लोग अक्सर कानूनी झंझट से बचने के लिए घायल को सहायता नहीं करते। इसी सोच को बदलने और लोगों को सक्रिय भूमिका निभाने के लिए इस शॉर्ट फिल्म के माध्यम से संदेश दिया गया है।