Tuesday, July 1, 2025

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खुद तो बनीं, गांव की 270 और प्रदेश की 10 हजार महिलाओं को भी बनाया स्वावलंबी

मशीनें खरीदकर 500 से ज्यादा उत्पाद बनाकर बेच रहीं हैं

महासमुंद (संवाद साधनस )। मन में कुछ कर गुजरने का दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत के मूलमंत्र के साथ हरिता पटेल खुद तो स्वावलंबी बनीं, साथ ही अपने गांव की 270 महिलाओं को भी स्वावलंबी बनाया। उन्होंने अपना सफर यहीं नहीं रोका, बल्कि प्रदेश में एक हजार स्व सहायता समूह बनाकर लगभग 10 हजार महिलाओं को स्वावलंबी बनाया। हरिता की इस सफलता के बाद उन्हें जिला स्तर पर अमृत महोत्सव के दौरान, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत ब्लॉक स्तर पर, रक्तदान समारोह अंबिकापुर में एवं मरार पटेल समाज के द्वारा सम्मानित किया गया है।
महासमुंद जिले के सरायपाली विकासखण्ड का एक गांव है चकरदा। यहां की आबादी लगभग 22 सौ है। पिछड़ा वर्ग बाहुल्य इस गांव में 200 परिवार रहते हैं। जिनका मुख्य व्यवसाय है खेती-किसानी है। इसी गांव की रहने वाली 29 वर्षीया हरिता पटेल, कुछ करना चाहती थीं। एक दिन राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से एआरपी गांव पहुंचे और महिलाओं को स्वावलंबी बनने के लिए स्व सहायता समूह बनाकर लघु उद्योग के लिए प्रशिक्षण दिलाने की बात कही, जिससे हरिता बहुत प्रभावित हुई और 2020 में एक समूह बनाया। जिसका नाम रखा ‘भारतीय नारी शक्ति समिति छत्तीसगढ़’। बाद हरिता ने मशरुम उत्पादन, साबून, फिनाइल, अगरबत्ती, आचार, आर्टिफिशियल ज्वेलरी, सिलाई, एलईडी बल्ब , इण्डियन बेस्ट कपड़ा बनाने आदि का प्रशिक्षण लेकर अपने गांव में 26 स्व सहायता समूह बनाकर 270 महिलाओं को इससे जोड़ा। हरिता ने बैंक आफ बड़ौदा से 4 लाख रुपये का ऋण लिया। उसके बाद अगरबत्ती बनाने, चप्पल बनाने, हल्दी पीसने,  एलईडी बनाने, सिलाई मशीन, आटा चक्की इत्यादि मशीनें खरीदकर आज 500 से ज्यादा उत्पाद बनाकर बेच रहीं हैं ।
तीन साल में पांच लाख से अधिक उत्पादन की बिक्री
समूह द्वारा निर्मित उत्पाद महासमुंद सी मार्ट, धमतरी सी मार्ट के अलावा सरायपाली के थोक विक्रेता के साथ हरिता के द्वारा सरायपाली, सारंगढ़, बिलाईगढ़, मुंगेली में  संचालित भारतीय नारी शक्ति मार्ट में बिक रहे हैं। आज हरिता ने प्रदेश में एक हजार स्व सहायता समूह का गठन कर 10 हजार महिलाओं को स्वावलंबी बनाया है । हरिता ने बैंक से चार लाख ऋण लिया, जिसमें से दो लाख रुपये का ऋण अदा कर चुकी हैं। हरिता स्व सहायता समूहों के माध्यम से 2020 से अब तक 5 लाख रुपए से ज्यादा का उत्पाद बेच चुकी हैं। जिसमें इनके समूह को दो लाख का मुनाफा हुआ है।
हर साल 30-40 हजार की कमाई
हरिता समूह की महिलाओं द्वारा तैयार किये उत्पाद का दस प्रतिशत बनाने की राशि उन महिलाओं को दे देती हैं । हरिता का सफर यहीं समाप्त नहीं हुआ। वह आज भी उन महिलाओं को प्रेरित करती हैं,जो आर्थिक तंगी से जूझ रही हैं। समूह से जुड़ीसीमा चौहान, संजू पटेल, लीलावती, पीली चौहान आदि ने बताया कि कभी वह आर्थिक तंगी से जूझ रही थीं, पर जब से इनके साथ जुड़ीं तब से रोजगार के लिए भटकना नहीं पड़ता बल्कि 35-40 हजार रुपये सालान कमा लेती है। इसका उपयोग वे घर की जरूरत के सामान, बच्चों की पढ़ाई और परिवार की आर्थिक मदद में करती हैं।

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