आज विदाई के साथ हल्दी-कुमकुम कार्यक्रम
महासमुंद। महाराष्ट्रीयन परिवारों में पिछले 24 घंटे से उत्सव का माहाैल है। प्रथम पूज्य श्री गणेश जी की पत्नियां रिद्धि-सिद्धि महालक्ष्मी अपने मायके में बच्चों के साथ पहुंची हैं। जिन घरों में इनकी स्थापना हुई है। वहां इनकी जोरदार आवाभगत हो रही है। प्रथम दिवस प्रतिमाओं की विधिवत स्थापना की गई। आज दूसरे दिन महालक्ष्मी को 16 प्रकार की सब्जियों के साथ अनेक प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया गया। मिली जानकारी के अनुसार रिद्धि-सिद्धि की स्थापना के लिए इन परिवारों में सप्ताह भर पूर्व से तैयारी की जाती है। साफ-सफाई के बाद रंग-रोगन कर इनकी स्थापना श्रेष्ठ मुहूर्त में की जाती है।10 सितंबर को शहर समेत अंचल के अनेक महाराष्ट्रीयन परिवारों में श्री महालक्ष्मी जी की स्थापना पूरे उत्साह के साथ की गई। ये परिवार तो जैसे उनके आगमन की साल भर से प्रतिक्षा कर रहे थे। जहॉ-जहॉ महालक्ष्मी जी की स्थापना होती है। उन घरों को उनका मायका माना जाता है. मायके में वे ढाई दिन बच्चों शुभ-लाभ के साथ रहती हैं। मान्यता है कि तीसरे दिन स्वयं भगवान गणेश उन्हें ले जाने के लिए अपनी ससुराल आते हैं।
महालक्ष्मी पूजन पर्व का दूसरे दिन का बड़ा महत्व होता है. आज उनका सोलह श्रृंगार कर विशेष प्रकार की पूजा की गई। कुछ खास किस्म के पौधों की पत्तियां और फूल, दुर्वा 16-16 की मात्रा में उन्हें पूजा के दौरान अर्पित कर दोनों बहनों और बच्चों को 16 प्रकार की सब्जियों का भोग लगाया गया. इस दौरान आरती-भजनों का सिलसिला चलता रहा। और पंगत भोज में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण कर किया।
16 सब्जियां और आंबिल
महालक्ष्मी की पूजा के लिए 16 प्रकार की सब्जियां और व्यंजन बनाना-जुटाना थोड़ा कठिन होता है. उनकी खास पसंद वाली सब्जियां जब बाजार में नहीं मिलती तब इस पर्व के लिए बाहर से आने वाले रिश्तेदारों को फोन कर मंगाया जाता है। जिस तरह भगवान गणेश को मोदक प्रिय होते हैं उसी तरह महालक्ष्मी जी को अंबिल सर्वाधिक प्रिय होती है। पौष्टिक खाद्य सामग्री को बनाने के लिए 3 दिन लगते हैं. महालक्ष्मी जी को इसका भोजन के साथ इसे परोसा जाता है. उसके बाद ही प्रसाद के तौर पर इसका वितरण किया जाता है। कई श्रद्धालु तो बड़े चाव से इसकी मांग करते हैं।
आज विदाई
आज दूसरे दिन महिलाओं-पुरुषों, बच्चों ने भी व्रत रखकर पूजा की. आज की बड़ी पूजा में घर परिवार के अलावा रिश्तेदार तथा पास-पड़ोस के लोग भी शामिल हुये। घर-आंगन और स्थापना स्थल को रंगोलियों तथा विद्युत झालरों से सजाया गया है. कल तीसरे दिन महिलायें हल्दी-कुमकुम कार्यक्रम का आयोजन कर श्री गणेश परिवार को विभिन्न प्रकार के उपहार भेंट कर विदाई देगी। 3 दिन से उनकी सेवा में जुटे भक्तों की आंखे उन्हें विदा करते समय नम हो जाती है।