*कोरबा/पाली:-* जनपद पंचायत पाली अंतर्गत ग्राम पंचायत मुनगाडीह के सरपंच रामानंद उइके ने अपने पंचायत सचिव निर्मलदास मानिकपुरी के विरुद्ध मनमानी एवं शराबखोरी का आरोप लगाते हुए उन्हें पंचायत से हटाने की मांग कलेक्टर से की है ।
सरपंच द्वारा कलेक्टर को बीते जनवरी माह के 27 तारीख को दिए गए शिकायती आवेदन में कहा है कि सचिव निर्मलदास पंचायत भवन कार्यालय में हमेशा शराब पीकर आते है और पंचायत संबंधी विभिन्न योजनाओं का लाभ गांव की जनता को नही दिला पा रहे है। वहीं ग्राम सभा मे हमेशा नदारद रहते है। सचिव द्वारा विगत कई माह से पंचायत बैठक भी नही कराया गया है। पंचायत संबंधित योजनाओ के बारे में पूछे जाने पर ग्रामीणों से अभद्र व्यवहार करता है, और पंचायत में चल रहे निर्माण कार्यों पर कमीशन की मांग करता है। सचिव द्वारा गौठान समिति अध्यक्ष के साथ मिलीभगत कर फर्जी प्रस्ताव बना गौठान की राशि निजी कार्य के लिए आहरण किया गया है। सरपंच ने बताया कि सचिव के मनमानी के कारण पंचायत कार्यालय में कुव्यवस्था जैसा हाल बन गया है। पंचायत की जनता को पंचायत स्तर के छोटे- छोटे सरकारी काम के लिए जनपद कार्यालय जाना पड़ता है। सचिव के रवैये से पंचायत की जनता व पंचगण काफी त्रस्त है। सचिव के विपरीत क्रियाकलापों को लेकर सरपंच ने कलेक्टर को शिकायत पत्र दे उनके मुनगाडीह पंचायत से अन्यंत्र स्थानांतरण की मांग की है।
*जहां रहे सचिव निर्मल, वहां हुई शिकायत*
सचिव निर्मलदास की कार्यशैली हमेशा से विवादों में रहा है। पाली जनपद अंतर्गत ग्राम पंचायत लाफा, रामाकछार, भंडारखोल, जेमरा में इनकी पदस्थापना रही। जहां वे अक्सर अपनी भ्रष्ट्र कार्यशैली, मनमानी व शराबखोरी के चलते सुर्खियों में रहे तथा शिकायत भी होती रही और अपने रवैये की वजह से वे तीन बार निलंबित भी हो चुके है। जेमरा पंचायत कार्यकाल के दौरान इन्होंने तत्कालीन सरपंच राजकुमार से सांठगांठ कर पंचायत मद के लाखों रुपए बिना काम कराए आहरण कर वारा- न्यारा किया। जिस भ्रष्ट्राचार के विरुद्ध यहां के उपसरपंच व पंचों ने मोर्चा खोला था, तब प्रशासन की ओर से सरपंच को हटाने तथा सचिव निर्मलदास पर निलंबन की गाज गिरी थी। उक्त मामले में तत्कालीन सरपंच राजकुमार व सचिव निर्मल पर लाखों की वसूली कार्यवाही आज भी प्रशासन में लंबित है। वहीं बहाल होने पश्चात उक्त सचिव को वर्तमान मुनगाडीह पंचायत का दायित्व सौंपा गया है, जहां के सरपंच ने भी इनको हटाने की मांग कलेक्टर से की है। अपनी भ्रष्ट्र एवं मनमाने हरकतों से बाज नही आने वाले ऐसे सचिव के विरुद्ध प्रशासन को कड़े रुख अख्तियार कर पदमुक्त करने जैसे कार्यवाही की आवश्यकता है। ताकि ऐसे सचिव के कारण ग्राम पंचायतें भ्रष्ट्राचार की मांद न बने।