हर माह पांच हजार वाहन खरीदे जाते हैं, चोर 150-160 कर देते हैं पार
दूसरे राज्यों में खपा दे रहे गाडि़यां
रायपुर। राजधानी के अलग-अलग इलाकों से शुक्रवार-शनिवार को सात से ज्यादा बाइक-मोपेड चोरी हो गई। चोर मास्टर और डुप्लीकेट चाबी से लाक खोलकर वाहन चुरा ले गए। चोरी हुई एक भी गाड़ी अब तक मिली है, इसमें हीरो और होंडा की बाइक ज्यादा हैं। रायपुर में पिछले तीन माह में चोरी के लगभग 550 से ज्यादा केस दर्ज किए गए हैं। पुलिस बाइक चोरों को पकड़ने में नाकाम साबित हो रही। उल्लेखनीय है कि जिले में पांच हजार दोपहिया वाहन हर महीने खरीदे जाते हैं। इसमें से 150-160 से ज्यादा गाड़ियों को चोर चुरा ले जा रहे हैं। चोरी की गाड़ियों में पुलिस सिर्फ 15 प्रतिशत मामले में गाड़ी बरामद कर पाई है। अधिकतर मामलों में अब तक गाड़ियां नहीं मिली हैं। कई मामलों में सीसीटीवी फुटेज होने के बाद भी पुलिस आरोपितों को खोज नहीं पा रही है।
जांच के बाद एफआइआर : गाड़ी चोरी की शिकायतें आती है, तो उसकी पहले जांच होती है। एक-दो दिन बाद केस दर्ज किया जाता है। पुलिस के अनुसार अधिकतर लोगों की लापरवाही से गाड़ियां चोरी होती हैं। गाड़ियों को लाक नहीं करते हैं। कई बार दुकान या बाजार में लोग गाड़ी में चाबी छोड़कर चले जाते हैं। इसी चूक का फायदा उठाकर चोर गाड़ी लेकर भाग जाते हैं। लोग पुरानी गाड़ियों का लाक भी नहीं बदलते हैं। वहीं पार्किंग का किराया बचाने के लिए लोग कहीं भी गाड़ियां पार्क करके चले जाते हैं।
इन क्षेत्रों में ज्यादा चोरी : बाइक चोरी की सबसे ज्यादा वारदातें भीड़भाड़ वाले थाना क्षेत्रों से हो रही है। इसमें कोतवाली, गोलबाजार, मौदहापारा, खमतराई, उरला, टिकरापारा और डीडी नगर थाना क्षेत्र से सबसे ज्यादा बाइक चोरी की वारदात हो रही हैं। कोतवाली थाना क्षेत्र में सदरबाजार है। मौदहापारा थाना क्षेत्र के प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल अंबेडकर की पार्किंग से बाइक चोरी की वारदात हो रही है।
दूसरे राज्यों में बिक रही चोरी की गाड़ी : रायपुर से चोरी हुई बाइक-मोपेड सबसे ज्यादा ओडिशा और झारखंड में बिकती है। वहां लोग बिना दस्तावेज के भी गाड़ी खरीद लेते हैं। उसका गांजा तस्करी और खेती के लिए उपयोग करते हैं। नंबर प्लेट बदलकर गाड़ियों का कारोबार किया जा रहा है। इसमें बड़ा रैकेट सक्रिय है, जो फर्जी चैचिस नंबर से दस्तावेज भी तैयार कर लेते हैं। वहीं लूट, हत्या, चोरी जैसी वारदात में भी चोरी की गाड़ी का उपयोग किया जाता है।
पार्ट्स अलग-अलग कर बेचा जा रहा : गाड़ी चोरी करने के बाद गिरोह उसे कबाड़ी या यार्ड वाले को बेच देते हैं। वहां गाड़ी के एक-एक पार्ट्स को अलग-अलग किया जाता है। टायर, सीट कवर से लेकर एक-एक पार्ट्स को अलग-अलग बेचा जाता है। इससे मार्केट में चोरी की गाड़ियां आसानी से खप जाती है। गाड़ी मैकेनिक खरीद लेते हैं। चोरों को बिना दस्तावेज के गाड़ियों का अच्छा दाम मिल जाता है। अभी गिरोह पार्टस को अलग-अलग कर दूसरे राज्यों में बेच रहे हैं।
क्राइम ब्रांच की विशेष टीम गठित : शहर में बढ़ती बाइक चोरी को देखते हुए एंटी क्राइम एवं साइबर यूनिट की विशेष टीम का गठन किया गया है, जो लगातार आरोपितों को पकड़ भी रही है। इसके बाद भी चोरी की वारदात कम नहीं हो रही है।