चार दिन तक वाला छठ महापर्व का आज उगते सूरज को अर्घ्य देने के साथ ही संपन्न हो गया। कोरबा समेत अन्य जिलो से उगते सूरज को अर्घ्य देने की तस्वीरें सामने आ रही हैं।कोरबा जिले के सबसे बड़े छठ घाट पुरानी बस्ती वार्ड क्रमांक 4 में श्रद्धालुओं की संख्या लगभग 7 हजार के पार रही पूर्व पार्षद मनीष शर्मा के नेतृत्व में सभी व्यवस्था को बारीकी से देखा गया ।

घाट में सुबह से चाय,पेयजल आदि वितरित किया गया । वही अनीस मेमन द्वारा व्रतियों पर पुष्प की वर्षा की गई। सभी धर्म के लोगो की उपस्थिति में आज छठ महापर्व का समापन हुआ।आपको बता दें कि छठ पूजा की शुरुआत शुक्रवार यानी 28 अक्टूबर से हो गई थी। आज छठ पूजा का चौथा दिन यानी इसके समापन का दिन है।

क्यों उगते सूरज को अर्घ्य देकर किया जाता है समापन?
आपको बता दें कि छठ का पूजा आस्था का प्रतीक है। इसको लेकर ऐसी मान्यता है कि उगते सूर्य देव की पूजा करने से तेज, आरोग्यता और आत्मविशवास की प्राप्ति होती है। दरअसल, ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक सूर्य ग्रह को पिता, पूर्वज, सम्मान का कारक माना जाता है। इतना ही नहीं साथ ही छठी माता की अराधना से संतान और सुखी जीवन की प्राप्ति होती है।

नहाय खाय से समापन तक
गौरतलब है कि छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय की परंपरा से होती है। उसके बाद खरना का भी विशेष महत्व होता है। इस बार का खरना भी काफी शुभ समय पर पड़ा था। खरना के बाद संध्या अर्घ्य और चौथे दिन उषा अर्घ्य दिया जाता है। इससे ही छठ के पर्व का समापन होता है। इस पर्व की सबसे बड़ी विशेषता है कि यह पर्व पवित्रता का प्रतीक है। आपको जानकर बेहद हैरानी होगी कि 4 दिनों तक चलने वाले इस छठ पूजा में किसी पंडित की भी जरूरत नहीं पड़ती है।
