हरी सब्जियों की जगह चना, मटर, सोया बड़ी, राजमा, आलू, काबुली चना ने लिया
महासमुंद ( संवाद साधना )। स्थानीय आवक बढ़ने से सब्जियों के दाम में गिरावट जरूर आ रही है, पर आज भी बढ़े हुए दाम के कारण चिल्हर व्यावसायियों की हर दिन 40-50 प्रतिशत सब्जियां बच रही है। जिसका नुकसान उन्हें झेलना पड़ रहा है। उनका कहना है कि ग्राहकी न के बराबर हो रही है।
बता दें कि करीब पखवाड़े से भी अधिक समय से टमाटर के भाव आसमान छू रहे हैं। लोगों की थाली में सलाद में टमाटर तो दूर, गृहणियां इन दिनों टमाटर की जगह सब्जी में खट्टापन लाने अन्य विकल्प का उपयोग कर रही हंै। वहीं बढ़ी हुई सब्जियों के दाम के कारण हरी व अन्य सब्जियों की जगह देशी चना, मटर, सोयाबीन बड़ी, राजमा, बड़ी, आलू, काबुली चना की सब्जियां बना रहीं हंै। पिछले एक पखवाड़े से टमाटर के अलावा अन्य सब्जियों के साथ भाजियों के भावों में बढ़ोत्तरी हुई जिससे सब्जियों की ग्राहकी में इसका असर देखा गया। सब्जी व्यवसायी संघ के अध्यक्ष संतोष चंद्राकर ने बताया कि पिछले दस दिन पूर्व स्थानीय आवक न होने से टमाटर सहित अन्य सब्जियों के दाम में बढ़ोत्तरी हुई थी। अब धीरे-धीरे स्थानीय आवक बढ़ रही है। जिससे सब्जियों के दामों में गिरावट आ रही है। अब हर रोज करीब 50 टन स्थानीय व 70 टन सब्जियां बाहर से आ रही है। आगामी कुछ ही दिनों में सब्जियों के दाम घटेंगे।
हर रोज बच रही सब्जियां, हो रहा नुकसान
स्थानीय थोक व चिल्हर सब्जी बाजार में आज प्रतिनिधि ने देखा कि बाजार में ग्राहकों की संख्या काफी कम थी। कुछ सब्जी व्यवसायी ग्राहकों का इंतजार करते दिखे। बातचीत के दौरान चिल्हर व्यवसायी चोवाराम सिन्हा, जानकी पटेल, संतोष साहू, रूपेश सिन्हा, पुष्पा सिन्हा और डेमिन सिन्हा ने बताया कि सब्जियों के दाम खासकर टमाटर, ढेंस, अदरक, मिर्ची के दाम आसमान छू रहे हैं। इसके अलावा अन्य सब्जी और भाजी भी मंहगी है। हर रोज करीब 40-50 प्रतिशत सब्जी रोज बच जाती है उसमें से अधिकांश खराब हो जा रही है, जिससे बहुत नुकसान हो रहा है। उन्होंने बताया कि दिनभर ग्राहकों के इंतजार में ही बीत रहा है।
फेरी वालों की संख्या भी हुई कम
सब्जी व्यवसायियों ने बताया कि थोक बाजार से बहुत से फेरी लगाकर सब्जी बेचने वाले सामान लेने आते थे उनकी संख्या ने भी बहुत कमी आई है। साथ ही इसी बाजार में मंझोले व्यवसायियों की संख्या में भी कमी आई है,सब्जियों के दाम में बढ़ोत्तरी के कारण बहुत से व्यवसायी दुकान नहीं लगा पा रहे हैं।