दो दिनों तक छाए रहेंगे बादल, हल्की से मध्यम बारिश संभव
महासमुंद। चक्रवाती तूफान ‘मिचौंग’ का तेजी से आंध्रप्रदेश की ओर बढ़ने का असर जिले में दिखाई दे रहा है। सोमवार शाम से ही मौसम बदला और आज सुबह जिले के कई हिस्सों में बारिश भी हुई। बारिश के साथ चल रही ठंडी हवाओं से अधिकतम तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार अभी दो दिनों तक बादल छाए रहेंगे और हल्की से मध्यम बारिश की संभावना बनी रहेगी।
बता दें हिन्द महासागर से उठने वाला ‘मिचौंग’ चक्रवाती तूफान का आज शाम तक 90 से 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से आंध्रप्रदेश के समुद्री तट से टकराने की संभावना है। जिसका असर सोमवार से ही जिले में भी दिखाई दे रहा है। चक्रवाती तूफान की वजह से प्रदेश सहित जिले के मौसम का मिजाज पूरी तरह से बदल गया है। मौसम वैज्ञानिक एचपी चंद्रा ने बताया कि आने वाले दो दिनों तक आसमान पर बादल छाए रहेंगे और बारिश की आशंका भी है। बारिश के साथ तेज हवा भी चल सकती है। उन्होंने बताया कि आठ दिसंबर से मौसम खुलने की उम्मीद है बाद ठंड बढ़ेगी। बादल छाने और बारिश से अधिकतम तापमान में लगभग चार डिग्री सेल्सियस तक गिरावट की उम्मीद है पर न्यूनतम तापमान में कोई विशेष बदलाव नहीं होगा। तूफान के चलते आज सुबह जिला मुख्यालय में हल्की बारिश हुई और हवा चली जिससे ठंड बढ़ गई। दोपहर 12 बजे तक अधिकतम तापमान करीब 24 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 20 डिग्री सेल्सियस रहा।
पानी गिर तो सब्जियों को नुकसान
तूफान के चलते मौसम विभाग ने अगले दो दिनों तक बारिश की संभावना जताई है। अगर तेज बारिश होती है तो इसका असर सब्जियों पर भी पड़ सकता है। उद्यानिकी विभाग के उप संचालक आरएस वर्मा ने बताया कि हल्की और मध्यम बारिश होने से सब्जियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा,पर यदि तेज बारिश होती है तो टमाटर, मिर्ची, गोभी, बैगन सहित मौसमी सब्जियों की पैदावार पर इसका असर होगा वहीं तैयार हो चुकी फसलों को नुकसान पहुंचेगा।
बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ाई
सोमवार रात अचानक जिले में मौसम ने करवट बदली और बूंदाबांदी शुरू हो गई। बाद रात्रि में बारिश हुई। बारिश का क्रम मंगलवार को भी सुबह से जारी रहा।इधर बेमौसम बारिश से किसानों की भी चिंता बढ़ गई है। जिन किसानों ने कटाई के बाद धान खेतों से नहीं उठाया है उन्हें बारिश होने पर नुकसान होने का अधिक डर सता रहा है। खेतों में पहले से नमी है जिससे हार्वेस्टर से कटाई नहीं हो रही है, उनके लिए बारिश से परेशानी बढ़ जाएगी। समर्थन मूल्य पर खरीदे जा रहे धान की सुरक्षा के लिए हर साल समितियों को सुरक्षा व भंडारण व्यय जारी की जाती है। इसी राशि से तिरपाल, ड्रेनेज, भंडारण की व्यवस्था बनाकर उठाव होने तक धान को बचाकर सुरक्षित रखना होता है जिसकी व्यवस्था उपार्जन केन्द्रों में देखी गई।