
एमडी ने लिया जायजा, अधिकारियों को दिए दिशा निर्देश
कोरबा। बेमौसम बारिश से बिजली की डिमांड में गिरावट आई है। वहीं दूसरी ओर राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी के मड़वा संयंत्र में कोयला आपूर्ति बहाल होने से दोनों इकाई उत्पादन में लौट आई है। जिससे अफसरों ने राहत की सांस ली है। कंपनी के प्रबंध निदेशक ने प्रवास के दौरान कोल ब्लॉक और संयंत्र का जायजा लेकर अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए हैं।
मंगलवार की शाम बिजली की डिमांड 4247 मेगावाट रही। जबकि इस दौरान प्रदेश में बिजली की उपलब्धता 4727 मेगावाट थी। खपत में कमी आने से 463 मेगावाट बिजली अंडरड्राल की स्थिति थी। राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी के संयंत्रों से 2057 मेगावाट बिजली उत्पादन हो रहा था। सेंट्रल सेक्टर पर भी दबाव कम हुआ है। लगभग 2100 मेगावाट बिजली ही ड्राल करनी पड़ रही थी। मांग अधिक रहने की स्थिति में यह आंकड़ा 3000 मेगावाट के पार पहुंच रहा था। छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी के प्रबंध निदेशक एसके कटियार कोरबा व जांजगीर-चांपा जिले के विद्युत संयंत्रों के निरीक्षण के लिए पांच दिवसीय प्रवास पर रहे।
उन्होंने सोमवार को अटल बिहारी वाजपेयी ताप विद्युत संयंत्र (एबीवीटीपीएस) मड़वा का जायजा लिया।श्री कटियार ने सबसे पहले प्रशासनिक भवन पहुंचकर कार्य की प्रगति की समीक्षा की। उन्होनें प्रशासनिक भवन के साउथ ब्लॉक के कार्यां की प्रगति पर संतोष जाहिर करते हुए कार्य को जल्द पूरा करने के निर्देश दिए। प्रबंध निदेशक ने कोल हैल्डिंग प्लांट एरिया में कोल आपूर्ति की स्थिति को जाकर देखा। इसके पहले प्रबंध निदेशक गारेपालमा कोल ब्लॉक से जाकर लौटे थे, जहां उन्होंने विद्युत संयंत्र के लिए कोयला आपूर्ति को बहाल कराया है। अभी विद्युत संयंत्र को प्रतिदिन चार से पांच कोल रैक की आपूर्ति हो रही है। इससे विद्युत संयंत्र की दोनों इकाइयां सतत संचालन की स्थिति में आ गई हैं। प्रबंध निदेशक ने ईएसपी के निरीक्षण के बाद तकनीकी भवन में वरिष्ठ अधिकारियों की करीब एक घंटे तक बैठक ली। बैठक में उन्होंने सभी अधिकारियों को दो साल की अग्रिम कार्ययोजना बनाकर उसके अनुसार कार्य संचालित करने को कहा। श्री कटियार ने विद्युत संयंत्र में सीएचपी व एएचपी को पहली प्राथमिकता देते हुए सभी तकनीकी उपकरणों का खास ख्याल रखने के निर्देश दिए।
बैठक में कार्यपालक निदेशक एसके बंजारा ने प्रबंध निदेशक के सहयोग के लिए आभार जताते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया। वहीं दूसरी ओर मौसम में नरमी के कारण बिजली की डिमांड भी कम हुई है। मड़वा की दोनों इकाइयों के शुरू हो जाने से कंपनी के बिजली उत्पादन भी बढ़ोत्तरी हुई है, हालांकि डीएसपीएम की एक इकाई जरूर बंद है।