00 सिरगिड़ी के किसानों ने की नई पहल, प्रति एकड चार-पांच हजार रूपये बचाए।
*महासमुंद।* जिला मुख्यालय से लगे आश्रित ग्राम सिरगिड़ी के किसान खेती-किसानी में लागत कम करने के लिए एक नवाचार करते हुए कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल बंद कर खुद के बनाये कीटनाशक का इस्तेमाल कर रहे हैं। जिसकी लागत मात्र 300 रुपये है। इसका खेतों में छिड़काव कर यहाँ के किसान प्रति एकड लगभग चार से पांच हजार रुपये की बचत तो कर ही रहें हैं साथ ही फसल की अच्छी पैदावार भी ले रहे है।
बढती महंगाई से खेती-किसानी भी प्रभावित हो रही है। खेती में बढ़ती लागत ने किसानों की कमर तोड दी है और यही कारण है कि ग्रामीण अंचल के युवा किसान खेती- किसानी से विमुख हो रहे है पर जिला मुख्यालय से 10 किमी की दूरी पर बसा ग्राम पंचायत झालखम्हरिया और इसी ग्राम पंचायत का आश्रित गांव सिरगिडी के आधा दर्जन किसान पिछले तीन वर्षो से बाजार में बिकने वाले कीटनाशक दवाओं का उपयोग अपने खेतो में नही कर रहे है बल्कि इन्होने 5 एकड़ खेती के लिए 1.5 लीटर गोमूत्र, कर्रा, नीम, धतुरा, कनेर, गुडहर का पत्ता, लहसून 500 ग्राम, लाल मिर्च 500 ग्राम, नमक 2 किलो, तम्बाकू 500 ग्राम मिलाकर कीटनाशक तैयार किया। जिसकी लागत लगभग 300 रुपये है।
*फसलों पर तीन बार करते हैं छिड़काव*
गांव के किसान विजय कुमार,समारूराम ध्रुव, इंद्जीत साहू सहित अन्य किसानो ने बताया कि इस कीटनाशक का उपयोग वे अपनी फसलों तीन बार करते है। इस कीटनाशक से इनके फसलों में कीट प्रकोप, तनाछेदक आदि होता। इस प्रकार ये किसान लगभग 25 से 30 एकड की फसल ले रहे है उत्पादन भी प्रति एकड 20 से 25 क्विंटल हो रहा है। उन्होंनेे कहा कि अगर सभी किसान भाई इस तरह कीटनाशक बनाकर अपने फसलों मे छिडकाव करेंगे तो उनकी लागत कम हो जायेगी और उत्पादन अच्छा मिलेगा।