शिक्षकों की नई भर्तियां न करनी पड़े इसलिए युक्तियुक्तकरण कर रही सरकार
महासमुंद। विष्णुदेव सरकार नए सेटअप के नाम पर स्कूलों में शिक्षकों के न्यूनतम पदों की संख्या में कटौती कर शिक्षक के हजारों पद खत्म करना चाहती है। शिक्षकों की नई भर्तियां न करनी पड़े इसलिए युक्तियुक्तकरण कर रही है। युक्तियुक्तकरण रोजगार विरोधी, शिक्षा विरोधी कदम है। इस कदम का हम विरोध करते हैं और इसके खिलाफ जमीनी लड़ी जाएगी। उपरोक्त बातें आज कांग्रेस भवन में आयोजित पत्रकारवार्ता में जिला प्रभारी दिनेश यदु ने कही।उन्होंने आरोप लगाया कि युक्तियुक्तकरण के कारण प्रदेश में 45 हजार से अधिक शिक्षकों के पद समाप्त हो जाएंगे। 10463 स्कूल बंद कर दिए हैं। इससे पहले भी रमन सरकार में प्रदेश के 3300 से अधिक स्कूल बंद किया गया था और 12 हजार शिक्षकों के पद समाप्त किया गया था। यह सरकार शिक्षा विरोधी कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि प्राथमिक शालाओं में पहली व दूसरी में तीन-तीन विषय एवं तीसरी, चौथी, पांचवी में चार-चार विषय के अनुसार कुल 18 विषय होते हैं, जिन्हें वर्तमान में तीन शिक्षकों को 40 मिनट का 6-6 कक्षाएं लेनी होती है, अब युक्तियुक्तकरण के नए नियम के बाद दो ही शिक्षकों के द्वारा 18 कक्षाओं को पढ़ाना कैसे संभव हो सकता है? मिडिल स्कूल में तीन कक्षा और 6 विषय इस हिसाब से कुल 18 कक्षाएं और 60 बच्चों की कुल संख्या में एचएम और उसके साथ केवल एकमात्र शिक्षक कैसे 18 कक्षाएं ले पाएंगे? स्कूलों को जबरिया बंद किए जाने से न केवल शिक्षक बल्कि उन 10463 स्कूलों से संलग्न हजारों रसोईया, स्लीपर और मध्याह्न भोजन बनाने वाली महिला, स्वसहायता समूह की बहनों के समक्ष जीवन-यापन का संकट उत्पन्न हो गया है।
*नई भर्ती के अवसर कम होंगे, 58 हजार पद रिक्त*
श्री यदु ने कहा कि नए सेटअप के तहत प्राइमरी, मिडिल, हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलो में शिक्षकों के न्यूनतम पदों में कटौती से नियमित शिक्षक के पद पर नई भर्ती के अवसर भी कम हो जाएंगे। 58 हजार शिक्षकों के पद खाली हंै। विधानसभा में घोषणा की गई थी कि 35 हजार पद भरे जाएंगे, इस वर्ष बजट में भी 20 हजार शिक्षकों की भर्ती की बात की गयी है लेकिन यह भर्तियां न करनी पड़े, इसलिए 45 हजार पद समाप्त किए जा रहे हैं। जब पद ही खाली नहीं रहेंगे तो भर्ती कहां से करेंगे। हर महीने सैकड़ों शिक्षक रिटायर हो रहे हैं, वर्षों से शिक्षकों का प्रमोशन रुका हुआ है, स्थानांतरण को लेकर कोई ठोस नीति नहीं बना पाई, समयमान वेतनमान का विवाद अब तक लंबित है ऐसे में युक्तिकरण, सरकार के इस शिक्षा विरोधी फैसले के खिलाफ पूरे प्रदेश में आक्रोश है। पत्रकारवार्ता में प्रमुख रूप से खल्लारी विधायक द्वारिकाधीश यादव, जिला अध्यक्ष रश्मि चंद्राकर, पूर्व विधायक विनोद चंद्राकर, शहर ब्लॉक अध्यक्ष खिलावन बघेल आदि कांग्रेसी मौजूद थे।