Monday, June 30, 2025

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वन विभाग की पहल , बाजार उपलब्ध कराकर महिला स्वसहायता समूहों को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास

कोरबा। महिलाओं को समूह में जोडक़र आत्मनिर्भर बनाने के लिए कवायद जारी है। इसके लिए वन विभाग भी सहयोग कर रहा है। गुरसिया के वन धन विकास केंद्र में महिला समूह की ओर से दोना और पत्तल का निर्माण किया जा रहा है। इसकी बिक्री के लिए बाजार भी उपलब्ध कराने में वन विभाग मदद कर रहा है। दोना और पत्तल बनाने के लिए वन धन विकास केंद्र गुरसिया में छुरी की प्रेरणा स्व सहायता समूह को कार्य दिया गया है। समूह की ओर से दोना और पत्तल का निर्माण किया जा रहा है। दोना का निर्माण माहुल की पत्ता से होता है। इस पत्ता से पत्तल भी बनाया जाता है जो बाजार में बेची जाने वाली प्लास्टिक एवं कागज के पत्तल से महंगी होती है। समूह को माहुल पत्ता नहीं मिलने के कारण दोना और पत्तल बनाने में परेशानी हो रही थी। समूह ने इस समस्या से कटघोरा वनमंडल के अधिकारियों को अवगत कराया था। इसे ध्यान में रखते हुए कटघोरा वनमंडल ने धरमजयगढ़ वनमंडल से 15 क्विंटल माहुल पत्ता मंगाकर प्रेरणा स्व सहायता समूह को दिया, ताकि समूह अपनी गतिविधियों को संचालित कर सके।समूह की ओर से बनाए जा रहे दोना और पत्तल को लेने के लिए एनडब्ल्यूएफपी मार्ट से दो लाख रुपए का ऑर्डर मिल चुका है। ऑर्डर बिलासपुर से प्राप्त हुआ था। बताया गया है कि समूह की ओर से निर्मित दोना-पत्तल का इस्तेमाल नवरात्रि के समय विभिन्न मंदिरों में किया गया। सबसे अधिक दोना-पत्तल का इस्तेमाल रतनपुर महामाया मंदिर में किया जाना निर्धारित किया गया था। इसके लिए दोना-पत्तल को बनाने का कार्य जोर-शोर से जारी रहा। समूह को उम्मीद है कि इससे उनकी आर्थिक स्थिति सुधारने में मदद मिलेगी। गौरतलब है कि वनमंडल कटघोरा अंतर्गत समूह के माध्यम से कई उत्पाद का निर्माण किया जा रहा है। इसमें वनोषधि, हर्बल प्रोडक्ट भी शामिल हैं। इसी के तहत विकासखंड पाली अंतर्गत ग्राम डोंगानाला में हरिबोल स्व सहायता समूह की ओर से 19 प्रकार की औषधियों का निर्माण भी किया जा रहा है। इसकी बिक्री बढ़ाने के लिए कटघोरा वनमंडल में संजीवनी विक्रय केंद्र स्थापित है।जंगल से प्राप्त होने वाले पेड़-पौधों से बनने वाले औषधियों की बिक्री के लिए जमनीपाली में भी एक केंद्र की स्थापना की जा रही है। इसके लिए वन विभाग की ओर से कार्य किया जा रहा है। विभाग को उम्मीद है कि जमनीपाली में नया संजीवनी केंद्र खुलने से वनोषधि को बेचने में काफी मदद मिल सकेगी।

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