Friday, June 20, 2025

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भगवान श्रीकृष्ण की ओर से की गई रासलीला- “जीव एवं परमात्मा के मिलन का प्रस्थान है – अतुल कृष्ण भारद्वाज

सक्ति । कथा व्यास अतुल कृष्ण भारद्वाज महाराज ने श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दौरान षष्ट् दिन 22 सितंबर शुक्रवार को सभी श्रदालुओं के समक्ष भगवान श्री कृष्ण लीला प्रसंगों को बड़े ही मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया, जिसे सुनकर श्रदालुगण राधा-कृष्ण की भक्ति में डूब गए। पूज्य व्यास जी ने कहा के भगवान श्रीकृष्ण की ओर से की गई रासलीला- “जीव एवं परमात्मा के मिलन का रास्ता दिखाती है” गापी यानी जीवात्मा, कृष्ण अर्थात ईश्वर परमात्मा ने रास रचाया। काम को पराजित करने की लीला साक्षात जीव एवं परमात्मा का मिलन है। हम परमात्मा को चाहते हैं, परन्तु अपने चारों ओर अनेक प्रकार के आडम्बर को फैलाए रखते है । यदि ईश्वर को जानना अथवा पाना है, तो सबसे पहले अपने आप को जानना पड़ेगा और अपने ऊपर पडे हुए मोह के परदे को हटाना पड़ेगा। व्यास जी ने कहा कि कृष्ण रूपी ईश्वर और गोपी रूपी जीव के ऊपर पड़े अज्ञान व मोह के परदे को चीर-हरण रूपी लीला हटाते हैं। गोपी यानि जीव, कृष्ण यानि परमात्मा, वस्त्र यानि अविद्या। कोई लाल, हरे एवं पीले वस्त्रों को नहीं चुराया बल्कि जल में नग्न होकर स्नान करने से वरूण देवता का अपमान होता है, इसीलिए वस्त्र को चुराया अर्थात चीर हरण हुआ। उस समय भगवान श्री कृष्ण की अवस्था 5 वर्ष की थी अर्थात 5 वर्ष के बालक में कोई काम वासना नहीं होती। भगवान ने कहा कि इसी बात को हमें समझना है, यदि तुम नहीं समझ सकोगे और ना देख सकोगे, मैं तुम सब के सर्वत्र व्याप्त हूँ। आवश्यकता है अपने भीतर के चक्षुओं को खोलकर देखने की। रास लीला वास्तव में जीव और परमात्मा के मिलन की एक आध्यात्मिक यात्रा है, जिस पर चलकर असीम शांति एवं आन्नद का अनुभव प्राप्त होता है। कृष्ण कंस रूपी अभिमान को मारा, अभिमान रूपी कंस की दो पत्नी आस्ती अर्थात प्राप्ति माने होगा।रूकमणि साक्षात लक्ष्मी, कृष्ण साक्षात नारायण। भगवान ने रूकमणि का हरण करके उसके भाई रूकमी को ब्रम्ह होने का प्रमाण दिया। राजा भीस्मक ने भगवत दर्शन करके अपने कन्या रूकमणि का विवाह श्री कृष्ण से किया अर्थात लक्ष्मी नारायण का पुनः मिलन हुआ। इस दौरान भगवान श्री कृष्ण एवं रुक्मणी की सुंदर झांकी भी प्रस्तुत की गई भजन की प्रस्तुति से श्रोता झूम उठे। आज की कथा में नगर के आसपास के श्रद्धालु गण अधिक संख्या में उपस्थित होकर कथा श्रवण कर पुण्य लाभ कमाया ।

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