Sunday, November 17, 2024

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दीपावली का त्यौहार सत्य की जीत और अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक -डॉक्टर संजय गुप्ता

⭕भारी भरकम मॅहगे पटाखे, पड़ते जेब पर भारी, और देते पर्यावरण को बीमारी, आइये सुन्दर सुन्दर दिये जलाऐं, बचत वाली दीवाली मनाऐं

⭕ पर्यावरण की खूबसूरती एवं खुशहाली में सहयोग देना हम सब का नैतिक कर्तव्य, हमें पर्यावरण के प्रतिकूल कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए। यही हमारी मां है ,हमें इसका संरक्षण व संवर्धन अवश्य करना चाहिए

⭕ आइए इको फ्रेंडली दिवाली सेलिब्रेशन का संकल्प लें, खुद भी जागरूक हों एवं लोगों को भी जागरूक करें ।पर्यावरण की सुरक्षा में अपना सहयोग दें
⭕ इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के विद्यार्थियों ने की क्षेत्रवासियों से प्रदूषण मुक्त दीवाली मनाने की अपील, किया विद्यालय को विभिन्न आकर्षक रंगोली एवं दिनों से सुसज्जित।

⭕ प्रदूषण मुक्त दीवाली मनाने का अपील करते हुए आईपीएस दीपका के विद्यार्थियों ने विद्यालय का श्रृंगार किया आकर्षक रंगोली से एवं जगमग किया दीयों की रोशनी से।

कोरबा….. पर्यावरण के बिना कोई भी जीवित नहीं रह सकता। यह बहुत मायने रखता है क्योंकि ग्रह पृथ्वी मनुष्यों के लिए एकमात्र घर है। यह भोजन, हवा, पानी और लाखों अन्य चीजें प्रदान करता है। मानवता की संपूर्ण जीवन-सहायक प्रणाली पूरी तरह से पृथ्वी पर रहने वाली सभी प्रजातियों की भलाई पर निर्भर करती है।पर्यावरण हमें उत्पादन के लिए संसाधन प्रदान करता है जिसमें नवीकरणीय और गैर-नवीकरणीय संसाधन शामिल हैं। पर्यावरण में सूर्य, जल, वायु और मिट्टी शामिल है जिसके बिना मानव जीवन का अस्तित्व नहीं होगा। यह आनुवंशिक विविधता और जैव विविधता प्रदान करके जीवन को बनाए रखता है।
प्रदूषक जो हवा को खराब कर रहे हैं और कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर को बढ़ा रहे हैं, मनुष्यों के लिए बहुत ख़तरनाक हैं। कार्बन डाइऑक्साइड के बढ़ते स्तर से ग्लोबल वार्मिंग होगी।इनका हमारे स्वास्थ्य पर कई तरह के प्रभाव पड़ रहे हैं। जल , वायु और मृदा प्रदूषण मनुष्यों, जंगली और घरेलू जानवरों और पौधों में महत्वपूर्ण प्रतिकूल स्वास्थ्य परिणाम पैदा कर सकता है। पर्यावरण प्रदूषण कई गैर-संक्रामक रोगों, जिनमें कैंसर और श्वसन संबंधी बीमारी शामिल हैं, के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है।मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव डालने के साथ-साथ वायु प्रदूषण हमारे प्राकृतिक पर्यावरण के लिए भी हानिकारक हो सकता है। हवा में मौजूद प्रदूषक संवेदनशील पौधों और पेड़ों के लिए जहरीले हो सकते हैं, जबकि वर्षा में मौजूद प्रदूषक एसिड या अतिरिक्त पोषक तत्वों को जमा करके आवासों को नुकसान पहुंचाते हैं।
प्रदूषण तब होता है जब हानिकारक पदार्थ प्रकृति में प्रवेश करते हैं और चीजों को खराब करते हैं। प्रदूषण के विभिन्न प्रकार हैं जैसे गंदी हवा, गंदा पानी, गंदी मिट्टी, बहुत अधिक शोर और बहुत अधिक रोशनी। प्रदूषण के स्रोत विविध हैं, जिनमें औद्योगिक गतिविधियों से लेकर घरेलू अपशिष्ट तक शामिल हैं।

उपरोक्त सभी तथ्यों के मद्दे नजर इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के विद्यार्थियों ने क्षेत्र वासियों से प्रदूषण मुक्त दीवाली मनाने की अपील की है । साथ ही विद्यालय परिसर में एक से बढ़कर एक आकर्षक रंगोली एवं दिये जलाकर मां लक्ष्मी की आराधना करने हेतु निवेदन किया है। विद्यालय परिसर में सभी कक्षा के विद्यार्थियों ने विभिन्न आकर्षक रंगोली बनाकर तथा दिये जलाकर प्रदूषणमुक्त दिवाली मनाने की अपील की।पूरे विद्यालय परिसर को आकर्षक रंगोली से सुसज्जित किया गया एवं दियों से रोशन किया गया।
विद्यार्थियों ने पूरे क्षेत्रवासियों को प्रदूषणमुक्त दिवाली मनाने का प्रत्यक्ष संदेश दिया एवं अपील की कि यदि हम प्रदूषण मुक्त दिवाली का संकल्प ले ले तो हम विभिन्न प्रकार से प्रकृति मां की सेवा करके मानव हित में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से अपना योगदान दे सकते हैं। क्योंकि यदि हम पटाखे जलाते हैं तो इससे न सिर्फ भूमि प्रदूषण होती है अपितु ध्वनि, वायु एवं मृदा प्रदूषण सहित विभिन्न प्रकार के प्रदूषण से हमारी प्रकृति दूषित होती है एवं मानव विभिन्न प्रकार की बीमारियों से भी से ग्रसित हो जाता है। साथी यदि हम पटाखे का अत्यधिक उपयोग करते हैं तो हम इसके खतरों से भी नहीं बच सकते। आए दिन अखबारों में हमें पढ़ने को मिलता है कि पटाखों के धमाकों से कितना नुकसान मानव जीवन को होता है। इंडस पब्लिक स्कूल के सभी विद्यार्थियों ने पूरे क्षेत्रवासियों से विनम्र अपील की कि वे मां प्रकृति की सेवा प्रदूषण मुक्त दीवाली मना कर कर सकते हैं ।दिवाली रोशनी एवं खुशियों का त्यौहार है तो क्यों ना हम अपने घरों में रंगोली बनाएं एवं दिए जलाकर घर को सुसज्जित करें ना कि पटाखे फोड़कर प्रदूषण फैलाएं।

*विद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर संजय गुप्ता ने कहा कि* दीपावली पर्व खुशियों का इस पर्व पर लोग धूम-धड़ाके में जमकर आतिशबाजी की जाती है। इससे पर्यावरण को भारी नुकसान होता है। साथ वायु और ध्वनि प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। पर्यावरण और सेहत को ध्यान में रखते हुए हमें प्रदूषण मुक्त दीपावली मनानी चाहिए।
प्रत्येक समाज त्योहारों के माध्यम से अपनी खुशी एक साथ प्रकट करता है। भारत एक ऐसा देश है, जहां सबसे ज्यादा त्योहार मनाये जाते हैं, यहां विभिन्न धर्मों के लोग अपने-अपने उत्सव और त्योहार को अपनी परंपरा और संस्कृति के अनुसार मनाते हैं।
दीपावली का त्यौहार खुशियों और सुख-समृद्धि का त्यौहार है। यह पांचवां देवता, मनाया जाने वाला, सबसे बड़ा त्योहार है। यह त्योहार सिर्फ हमारे देश में ही नहीं, बल्कि यहां भी मनाया जाता है, इसके प्रमुखों का पता लगाया जा सकता है। इस दिन दुर्भाग्य की काली रात होने के बावजूद भी पूरे भारत में जगमगाया हुआ था।
दीपावली का त्यौहार सत्य की जीत और अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं है बल्कि इसका सामाजिक, आध्यात्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और आर्थिक महत्व भी है। यह महोत्सव सामाजिक एकता को बढ़ाने का काम करता है।
हालाँकि फ़ेस्टिवल का एक दूसरा निदेशक भी है, जिसे हम अपने आनंद के लिए वर्ष-प्रतिवर्ष बढ़ावा देते जा रहे हैं। वो दूसरा आउटपुट है, बड़े बड़े बॉम्ब और पटाखे फोड़ना। यह एक ऐसा काम है, जिसका त्योहार से कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं है और इसका कोई ऐतिहासिक और पौराणिक वर्णन नहीं है, इसके साथ ही इस प्रकार के कृत्य के इस त्योहार में प्रदूषण बढ़ता है। यदि हम पटाखे जलाकर अपनी खुशियों का इजहार करना ही चाहते हैं तो हमें ऐसे पटाखे का इस्तेमाल करना चाहिए जो पर्यावरण के अनुकूल हो ना कि प्रतिकूल। हमें किसी भी स्तर पर पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले रसायन से युक्त पटाखों का इस्तेमाल कभी नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसे पटाखे सीधे-सीधे वायु में जहर घोलने का कार्य करते हैं ,जिन्हें हम श्वांश के रूप में ग्रहण करते हैं।

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